प्रिय भारतीयों,
इस देश के संवेदनहीन सांसदों और विधायकों को शायद कभी पता नहीं चलेगा कि देश की जनता आखिर क्या चाहती है ? ऐसा लगता है की ये हमेशा इसी तरह हमारी मांगों की अनदेखी करते रहेंगे ? हैरानी की बात तो ये है, इन्होने इस बार सुप्रीम कोर्ट को भी चुनौती देते हुए अपने सभी दाग़ी राजनीतिज्ञों की जमात के बचाव में एक विशेष अध्यादेश बनाकर और राष्ट्रपति के पास अनुमति के लिए भेज कर समूचे देश की भावनाओ का अपमान करने की ठान ली है.
याद रहे दोस्तों, हमें इस बार आने वाले २०१४ के चुनाव में इस भ्रष्ट तंत्र को दूध में फिटकरी या नींबू की भांति अपने कीमती मत डालकर इस सड़े पानी को शुद्ध दूध से हमेशा हमेशा के लिए अलग करना ही होगा। इन्हें बुरी तरह भारी मतों से हराकर सबक सिखाना ही होगा वर्ना ये हमारी प्रबल इच्छाओं का दमन करके हमारा शौषण करते ही रहेंगे और फिर से नियम कानूनों को तोड़कर अपने साथियों को काले कारनामों की सज़ा से बचाते रहेंगे क्योंकि भ्रष्ट केवल वे ही राजनितिक नेता नहीं होते मित्रों जो भ्रष्ट हैं, बल्कि असल में वे सब भी भ्रष्ट हैं जो उन्हें बचाते आये हैं.
भाइयो २०१४ का चुनाव किसी भी कीमत पर एक आम चुनाव न बनने पाये. इस क्रांतिकारी चुनाव से हमें एक नए भारत की नींव रखनी ही होगी। हमें इस बार हर हाल में अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, परिवार और गली मुहल्लें वालों को चुनाव में भाग लेने के लिए प्रेरित करना ही होगा ताकि हम इन्हें अधिक से अधिक मतों से हराकर इन्हें बता सकें कि इनका वजूद और इनकी ये शक्ति जिसका इन्हें आज इतना घमंड है ये केवल हमारे मतों के कारण है. इन्हें सिखाने का समय आ चुका है कि ये अब हमारे मतों की ताक़त का गलत इस्तेमाल हरगिज़ नहीं कर सकते वर्ना मित्रो हम अगले पांच सालों तक पछताते रहेगें की काश हमने २०१४ के चुनाव में जी तोड़ कोशिश की होती।
जो जन भावनाओं की कद्र नहीं कर सकते वो इस देश को क्या दिशा देंगे, देश की क्या प्रगति करेंगे? हम्माम में ये सब नंगे हैं दोस्तों और परदे के पीछे सब एक।
मेरी आप सब से प्रार्थना है इस कीमती अवसर को हाथ से निकलने न देना। २०१४ के चुनाव को क्रन्तिकारी चुनाव बनाइये !
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