अरविन्द केजरीवाल ने इस देश को क्या दिया और उसे बदले में क्या मिला ?
अरविन्द केजरीवाल ने अपनी क्रन्तिकारी आवाज़ से सोते हुए भारत वासियों को जगाकर अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतरने पर मजबूर किया, अरविन्द ने देश को स्वच्छ और आदर्श राजनैतिक विकल्प देकर भारत पर बहुत बड़ा उपकार किया है जो आज़ादी से आज तक केवल एक सपना मात्र था देशवासियों के लिए। निर्भीक अरविन्द ने भारत की इन विशाल राजनैतिक शक्तियों के सामने क्रांति की मशाल उठाकर समूचे देश को एकत्रित किया। अगर याद हो आपको, ये हमारे बीच से उठा वही आम आदमी है दोस्तों जिसने आम आदमी के अधिकारों को नेताओं से माँगा, ये वही आदमी है जिसे इन राजनेताओं ने संसद से नाली का कीड़ा कहा था (Gutter snipes), ये भी कहा था कि कानून सड़क से नहीं संसद से बनते हैं, अगर हिम्मत है तो संसद में आकर कानून बनाओ, आज उसी मामूली से आम आदमी ने सड़क से उठकर इनकी चुनौती को स्वीकार किया और इन सब नेताओं को जनसेवा का मतलब और राजनीती करना सिखाया जो ये अपनी सत्ता के आसन पर भूले बैठे थे।
अरविन्द ने पूरे विश्व को दिखा दिया कि एक आम आदमी की असली शक्ति छुपी है उसके अटूट संकल्प में। अरविन्द ने लोगों को अपने अधिकारों को पाने के लिए उनमें लड़ने का साहस भरा। अरविन्द ने देश के हित के लिए कई सामाजिक कार्य किये, धरना दिया, अनशन किया, इन राजनेताओं को, एक आधा अधूरा ही सही, लोकपाल देने के लिए मजबूर किया जिसकी मांग पिछले ४५ सालों से संसद की दीवारों से टकरा टकरा कर लगभग अपना दम तोड़ चुकी थी जो केवल कभी न पूरा होने वाला एक सपना सा बन गया था।
ये वही आम शख्स है जिसने इस देश की गन्दी राजनितिक ज़मीन से निष्कृष्ट परिवारवाद और वंशवाद मिटाने का संकल्प लिया। अरविन्द ने देश से वी आई पी कल्चर को सदा के लिए ख़त्म करने का बीड़ा उठाया जिसमें हर रोज़ करदाताओं के करोड़ों रुपये बर्बाद होते हैं इस देश में। अरविन्द ने इन नेताओं को राजनीती का असली अर्थ सिखाया, जनता से संपर्क बनाये रखना सिखाया, अरविन्द से सीख लेकर राहुल गांधी को मछुआरों, सीमा के जवानों, कुलियों, रिक्शेवालों से मिलने, चौपाल लगाने और मोदी जी को चाय की दुकान खोलने पर मजबूर किया, दिल्ली में पानी बिजली के लिए काफी हद तक मुफ्त किया, हरयाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र में बिजली के दाम घटाने पर स्थानीय नेताओं को मजबूर किया, ईमानदार अधिकारीयों को बड़े इनाम देने का काम किया, रोबर्ट वाडरा की असीम सम्पति और उसके जमीन घोटालों के खिलाफ आवाज़ उठाई,
अरविन्द ने ४९ दिनों के कम अंतराल में भी दिल्ली सरकार में रहकर इतने महत्वपूर्ण काम किये जो आज तक किसी और सरकार ने नहीं किये। इस देश में आज तक अरविन्द की तरह कोई और मुख्यमंत्री देश वासियों की भलाई के लिए कभी धरने पर नहीं बैठा।
दुर्भाग्यवश जिन्होंने आज तक देश चलाया है उनमें एक भी नेता नहीं है जो अरविन्द केजरीवाल की तरह सच्चाई के साथ खड़ा हो।
जहाँ तक मुझे याद है, अरविन्द ने कभी नहीं कहा कि वही केवल एक आदर्श नेता है भारत की धरती पर , जब कभी उसे अपनी गलती का अहसास हुआ उसने सबके सामने नम्रता पूर्वक अपनी गलती को स्वीकार किया जिसके लिए किसी भी व्यक्ति को अदम्य साहस की आवश्यकता पड़ती है,
ये वही आम शख्स है जिसने इस देश की गन्दी राजनितिक ज़मीन से निष्कृष्ट परिवारवाद और वंशवाद मिटाने का संकल्प लिया। अरविन्द ने देश से वी आई पी कल्चर को सदा के लिए ख़त्म करने का बीड़ा उठाया जिसमें हर रोज़ करदाताओं के करोड़ों रुपये बर्बाद होते हैं इस देश में। अरविन्द ने इन नेताओं को राजनीती का असली अर्थ सिखाया, जनता से संपर्क बनाये रखना सिखाया, अरविन्द से सीख लेकर राहुल गांधी को मछुआरों, सीमा के जवानों, कुलियों, रिक्शेवालों से मिलने, चौपाल लगाने और मोदी जी को चाय की दुकान खोलने पर मजबूर किया, दिल्ली में पानी बिजली के लिए काफी हद तक मुफ्त किया, हरयाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र में बिजली के दाम घटाने पर स्थानीय नेताओं को मजबूर किया, ईमानदार अधिकारीयों को बड़े इनाम देने का काम किया, रोबर्ट वाडरा की असीम सम्पति और उसके जमीन घोटालों के खिलाफ आवाज़ उठाई,
अरविन्द ने ४९ दिनों के कम अंतराल में भी दिल्ली सरकार में रहकर इतने महत्वपूर्ण काम किये जो आज तक किसी और सरकार ने नहीं किये। इस देश में आज तक अरविन्द की तरह कोई और मुख्यमंत्री देश वासियों की भलाई के लिए कभी धरने पर नहीं बैठा।
दुर्भाग्यवश जिन्होंने आज तक देश चलाया है उनमें एक भी नेता नहीं है जो अरविन्द केजरीवाल की तरह सच्चाई के साथ खड़ा हो।
जहाँ तक मुझे याद है, अरविन्द ने कभी नहीं कहा कि वही केवल एक आदर्श नेता है भारत की धरती पर , जब कभी उसे अपनी गलती का अहसास हुआ उसने सबके सामने नम्रता पूर्वक अपनी गलती को स्वीकार किया जिसके लिए किसी भी व्यक्ति को अदम्य साहस की आवश्यकता पड़ती है,
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