Tuesday, May 6, 2014

अमेठी में अनहोनी की आशंका और शत्रु की जीत का डंका ...

राहुल गांधी हार की कगार पर 

पहली बार, कांग्रेस के राजकुमार, राहुल गांधी की अमेठी में हार का लगभग सारा साजो-सामान लगभग तैयार हो चुका है।  लगता है कि अब उनके ५०० करोड़ रुपयों के विज्ञापनों की झड़ी और ५०० किलो गुलाब की पंखुड़ियां सब बेकार होने वाले हैं। देशी विदेशी चुनाव सर्वेक्षणों के अनुसार राहुल की लोकप्रियता अमेठी में क़रीब क़रीब स्माप्त हो चुकी है। कांग्रेस की कमर तोड़ने का साहस और योग्यता केवल कुमार विश्वास में है, ये अरविन्द ने पूरे देश को दिखा ही दिया क्योंकि इस से पहले कभी भी राजनैतीक सांठगांठ के चलते, किसी भी राजनैतिक पार्टी ने अपना उम्मीदवार अमेठी में खड़ा करके, कांग्रेस के इस शाहजादे के सर से सत्ता का ताज छीनने का दुस्साहस नहीँ किया था।  

कांग्रेस के गढ़ में ही राहुल की हार, ये तो बडे शर्म की और ड़ूब मरने जैसी बात हो जायेगी कांग्रेसियों के लिये। मगर प्रियंका वाड्रा का भाई के लिये चिंतित होकर मजबूरन अमेठी में हर रोज़ नुक्कड़ सभाएं करना, माँ सोनिया का दस साल में पहली बार बेटे के लिये अमेठी आकर प्रचार करना, बेटे की विजय के लिये वोटोँ की गुहार लगाना, पीढ़ी दर पीढ़ी पारिवारिक रिश्तों को जोड़ना, ऱाहुल द्वारा कांग्रेस की सोच को बढ़ चढ़ कर भगवत गीता की सोच बताना, समाजवादी पार्टी का राहुल के विरुद्ध अपना उम्मीदवार न खडा करना, कांग्रेस के तक़रीबन सभी शक्तिशाली अस्त्र-शास्त्र बेअसर और व्यर्थ दिखने लगे हैं, कांग्रेस के गढ़ में इस बार।

कल दूसरी तरफ नरेन्द्र मोदी भी पहली बार कांग्रेस के अपराजेय दुर्ग में पहुंचकर अपने चुंनिंदा तूफानी शब्दोँ से गरजते हुये कांग्रेस की दुर्गति करने में पीछे नहीं रहे, स्मृति ईरानी को अपनी बहन बताकर रिश्तोँ की दुहाई देने और भावनाओं को भुनाने में काफी हद तक कामयाब भी दिखे गुजरात के मुख्यमंत्री। यहाँ भी बहन के लिए भाई का प्यार, सच में गज़ब की ऊर्जा और स्फूर्ति थी अमेठी के इस चुनावी घमासान जंग में उनमें। अब तक का सबसे बहरीन और प्रभावी भाषण लगा अमेठी में इस बार उनका। उमा भारती जी का ये कहना कि मोदी बीजेपी के अच्छे वक्ता नहीं, कम से कम मेरी तो समझ से बाहर है।

देश को इस  समय किसी चालाक राजनेता या निपुण वक्ता की अवश्यक्ता नहीं जो लोगोँ की भावनाओं को उत्तेजित कर अपने लिये वोट बटोरे, जो पूंजीपतियों के हेलीकॉप्टर्स और धन को अपने चुनाव जीतने  के लिये उपयोग करता हो, किसानों की जमीन छीन कर धन्नासेठों को मुफत में देता  हो, देश को वो नेता भी नहीं चाहिए जो केवल अपने लक्ष्य को पाने के लिये नापतौल कर अपने शब्दोँ का चयन कर सत्ता पाने की लालसा रखता हो,  देश को ऐसा नेता चाहिए जो लोगों को अपने अधिकारों के लिये जागृत करे, देश में बदलाव की आन्धी पैदा कर अपनी आवाज़ पर देशभर में क्रान्ती लाने का दम रखता हो  और वक्त आये तो उनके अधिकारों के लिये अपनी सत्ता का भी बलिदान कर दे. 

अमेठी में कुछ भी हो, जीत हार किसी की भी हो,अपने देश के निर्भीक महानायक अरविन्द केजरीवाल को सलाम ठोकने को दिल ज़रुर करता है जिसने पहली बार सबकी कल्पना से परे अमेठी में राहुल के विरूध कुमार विश्वास को भेजकर इतिहास रचा। यही नहीं, मोदी के मज़बूत किले बनारस में उसके खिलाफ़ खुद खडे होकर मोदी की लहर को उल्टा बहा ले जाने की हिम्मत की। इतना अदम्य और अतुलनीय साहस बिरले ही रखते हैं दोस्तों। और क्यों न हो, चुनौतियों के इस  माहौल में देश की व्यवस्था को बदलने का लक्ष्य कोई छोटा मोटा काम थोड़े ही है।  इस वीडियो को देखकर भी अहसास न हो तो इस देश का ईश्वर ही मालिक है। 


इसमें कोई शक़ नहीं कि २०१४ के इस महत्वपूर्ण चुनाव के असली बाज़ीगर तो नरेन्द्र मोदी ही हैं, अपने राजनितिक कौशल और बरसों के अनुभव के बल पर और कांग्रेस के विरुद्ध देशभर में चली आंधी में बाज़ी तो वो ही मारेंगे इस चुनाव में, बस देखना ये बाकी है कि जनता अरविन्द केजरीवाल की ईमानदारी का उसे कितना इनाम यांनी कितनी ताकत देतीं है इस देश को बदलने और सत्ता के इन पुराने महारथियों से भिड़ने के लिये। 

आज न सही, आने वाले समय में इस देश का अनजान वर्ग एक दिन ज़रूर अरविन्द केजरीवाल के गुणों को पहचानकर उसे वोह शक्ति अवश्य देगा जिस के बल पर अरविन्द अपने लक्ष्य तक पहुंचकर भ्रष्टाचारमुक्त भारत का निर्माण कर सके  । 

जयहिंद ! जय भारत !

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