Tuesday, March 11, 2014

देश में सच्चे नेताओं और प्रतिभाओं की कमी नहीं ...

भारतीय संस्कृति का अपमान वो भी संचार माध्यम के सामने 



मानो विधान सभा में जूतम पैजार और गाली देना एक शान और सम्मान की बात हो. एक समय था जब ऐसे किस्से केवल अख़बारों कि शोभा बढाते थे अब तो आये दिन मीडिया के सामने खुलेआम बैखोफ होने लगा है।  किसी को भी पार्टी  या अपने नैतिक मूल्यों का ख्याल तक नहीं। यह तो सोच है आज हमारे देश के इन् नेताओं की. बड़े अहंकार, शान और गर्व से मीडिया के सामने यह बात कही है जनता दल के महोदय शिवानन्द तिवारी जी ने. इस से बड़े शर्म की बात क्या होगी की ऐसे पढ़े लिखे नेताओं को हमने अपने देश की बागडोर सौंपी हुई है. इसमें सबसे बड़ी गलती केवल हमारी ही है दोस्तों क्योंकि ये अपने आप यहाँ विधान सभा या संसद नहीं पहुंचे, इन्हें चुनकर हम ही लोगों ने तो भेजा है, इस देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए।  


राज्‍यसभा सदस्‍य शिवानंद तिवारी ने कहा है कि 'जब सुशील मोदी ने बिहार विधानसभा में चारा घोटाले मामले में मेरा नाम लिया था तो मुझे काफी गुस्‍सा आया और मैंने सुशील मोदी को गाली देते हुए जूता लेकर मारने के लिए दौड़ा दिया था.'


ये तो वाकई कमाल कर दिया तिवारी जी आपने विधान सभा की सभ्यता और संस्कृति को त्याग कर। आपके दंभ का सचमुच कोई जवाब नहीं। लेकिन आप अकेले नहीं हैं इस दौड़ में जिन्होंने ऐसा किया हो. और बहुत से काबिल नेताओं ने भी ऐसा जौहर दिखाया है इस देश की अलग अलग विधान सभाओं और लोकसभा में. 

ये गहन चिंतन की बात है की हमें अब आप जैसे नेताओं की 2014 के चुनाव में ज़रुरत है या नहीं।

सुशील, प्रतिभावान और काबिल नेताओं को पहचानिये जो भारतीय संस्कृति के मूल्यों का सम्मान करते हों। विचारों के मतभेद होने पर भी एक दूसरे का मान सम्मान करें।  जाति, भाषा, गुट, वर्ग और धर्म से ऊपर उठकर देश के सुनहरे भविष्य के लिए अपने मत का प्रयोग करें ताकि पूरे देश और देशवासियों का कल्याण हो।   

आपकी एक एक वोट बेहद कीमती है भाइयों और बहनो, इसे व्यर्थ न जाने दें। हमारे देश में सच्चे नेताओं की और प्रतिभाओं की कमी नहीं है। कमी है केवल उन्हें पहचानने की।  देश उन्हीं हाथों में सौंपें जो देश को उन्नति के पथ पर ले जाएँ, गर्त में नहीं। 

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